भगवान क्यों हो रहा सृष्टि पर ये सब फेर। भगवान क्यों हो रहा सृष्टि पर ये सब फेर।
एक अपवित्र देह से,हे पुरुष! तुम पवित्र कैसे पैदा हो गए? तुम्हें जन्म देते ही, तुम्हा एक अपवित्र देह से,हे पुरुष! तुम पवित्र कैसे पैदा हो गए? तुम्हें जन्म देते ...
मृत्यु ऐसा कड़वा सच जिसे स्वीकारना मुश्किल नकारना तो है नामुमकिन। मृत्यु ऐसा कड़वा सच जिसे स्वीकारना मुश्किल नकारना तो है नामुमकिन।
आग का पता फूलों से ही पूछो आग का पता फूलों से ही पूछो
मनुष्य का मन बहुत चंचल होता हैं मन के मते कभी मत चलिए ! मनुष्य का मन बहुत चंचल होता हैं मन के मते कभी मत चलिए !
कागज की संगी, मेरी उत्प्रेरणा हो तुम। कौन हो तुम ? कागज की संगी, मेरी उत्प्रेरणा हो तुम। कौन हो तुम ?